गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

शराब से सम्मान तक

                                         जीवन एक पहेली है | किसी के लिएँ खेल तो किसी के लिएँ जंग | जो सफलता पाता है,  वह जाबाज खिलाड़ी है और जो खाई मे गिरता है वह असफल योद्धा है | फिर इस योद्धा की खाई से जमीन की सतह तक आनेकी जंग शुरू हो जाती है | मै जिस योद्धा की बात कर रहाँ हूँ , वह भी खाई मे घायल पड़ा था | वैसे तो वह मेरा रिश्तेदार भी है | उसके माता जी और पिता जी दोनों का छत्र उसके सर से उड़ गया था|  बड़ा भाई अपनी निजी जिंदगी मे व्यस्त होते हुए भी जी जान से उसकी मदद कर रहाँ था , आज भी कर रहाँ है |
                                         अकेलापन आदमी को खा जाता है | इसके साथ भी यही हुआ , अपने अकेलेपन से तंग आकर वह बुरी संगत मे फ़स गया था | ' शराब ' नामक जहर से उसकी मुलाक़ात हो गई , बुरी संगत का बुरा असर | आहिस्ता-आहिस्ता शराब ने उसे निगलना शुरू कर दिया | लेकिन वह शराब को अपना आसरा मानकर दिन-रात उसी मे डूबा रहने लगा | एक जवान , सशक्त , रईस , खानदानी , उच्च-शिक्षित और ऊँचे औधे पर नौकरी करने वाला , अपना पैसा , वक्त और सेहद शराब की लत मे बरबाद कर रहाँ था | हम सब रिश्तेदार , दोस्त और समाज उसके बरबादी का तमाशा असहाय होकर देख रहे थे | कुछ दिनों बाद उसे पैसे कम पडने लगे , फिर लोगों से पैसे उधार लेना शुरू हो गया | पैसे उधार आना बंद हो गया तो घर से सामान चुराकर , उसे बेचकर शराब पीना शुरू हो गया था | खुछ सालों बाद , शराब के जहरीले सेवन से उसकी तबियत टूंट रही थी | पेट मे भयंकर दर्द , भूक ना लगना , वजन घट जाना , पाँव पर जख्म होकर उसका ना भरना ऐसे अनेक व्याधि से वह त्रस्त था | अच्छा-ख़ासा आदमी अब बैसाखियों के सहारे चलने लगा | सब को लग रहाँ था की यह अब चंद दिनों का मेहमान है |
                                       ' मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र ' मे उसके बड़े भाई ने उसे भर्ती कर दिया | कुछ महीनों तक वहाँ उसका उपचार हुआ और एक दिन वह वापस आ गया | हम सब उसे मिलकर दंग रह गए , चेहरे पे रौनक, बैसाखी गायब , तंदुरुस्त तबियत देखकर सभीको आश्चर्य भरी खुषी हो गई | वहाँ के अनुभव के बारें मे वह बता रहाँ था " मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र ने मुझे जीवनदान दिया | वहाँ जानेके बाद मुझे पता चला की मद्यपान एक बिमारी है और इसका शिकार कोई भी हो सकता है | उस केंद्र मे बौद्धिक , मानसिक और शाररिक स्तर पर विशेषज्ञों द्वारा उपचार किएँ जाते है , जिससे शराब की लत से छुटकारा पानेमे बहोत मदद होती है | वहाँ से निकलते वक्त मुझे यह चेतावनी दी गई की यह बिमारी फिर होनेसे मै बस एक प्याली दूर हूँ | एक घूँट भी मैंने शराब पी ली तो पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी | इसीलिए हर पल मुझे सावधान रहना होगा " |
                                        जिंदगी हर मोड पर नये इम्तिहान लेती है | इसका भी यही हाल था , शराब तो छूट चुकी थी लेकिन शराबी नामक कलंक नही | समाज इसे अपनानेको तैयार नही था | शराबी नामक बदनामी इसे नौकरी मिलने और शादी होनेसे वंछित रख रही थी | दिन-महीने यूहीं गुजर गएँ | वह फिर से अपने आपको निराश और अकेला महसूस कर रहाँ था | उसके पुराने बुरे साथी उसे फिरसे शराब की लत लगाने की पूरी कोशिष कर रहे थे और वह बचने की मुश्किल जंग लड़ रहाँ था | हम सब को यहीं चिंता थी यह हालात का मारा फिरसे शराब पीना शुरू कर देगा और एक दिन .........................
                                       मेडल ( पदक ) लहराते हुए वह मेरे पास आया और कहने लगा , " चार साल , हर पल, हर मुश्किलों से लडता रहाँ पर मैंने शराब नही पी और इसीलिए कल मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र मे मुझे पदक देकर सम्मानित कियाँ है " | उसकी आँखों मे खुषी के आँसू और चहरे की अनोखी चमक मुझसे कह रही थी ,
                                                 आज मुझे मिला कड़ी मेहनत से पदक ,
                                                       आँसू मे डूबी एक बड़ी खुषी की झलक |
                                                                            चार साल मानो जैसे चार सदियाँ ,
                                                                             मुश्किलोंकी पार की मैंने कई     नदियाँ |
                                                       मैं खुद बन गया था जहर ही जहर ,
                                                        हर वक्त था मुझपे मदिरा का कहर |
                                                                          लगा सबको जिंदगी मेरी हो गई है ख़ाक ,
                                                                           उठा मै झटककर नाकामियों की राख़ |
                                                        कामयाबी मेरी है एक प्यारा चमत्कार ,
                                                        खुषहाल जिंदगी की मैंने सुनी है पुकार |
                                                                         कई दिनोंसे मैंने दिया शराबको धुत्कार ,
                                                                         इसीलिए पदक देकर मेरा कियाँ है सत्कार |
                                    मद्यपान को हर मजहब ने हराम माना है क्यों की इससे शराबी , उसके घर के सभी सदस्य बुरी तरह प्रभावित होते है | लेकिन इस बिमारी का इलाज है | मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र , समाज और रिश्तेदारों की समझ , सय्यम भरी सहाय्यता और सहारे से शराबी मदिरापान की लत से छुटकारा पा सकता है|
                                        

5 टिप्‍पणियां:

  1. Very well written. The society needs to support those addicted to alcohol and not reject them.
    - Santosh Pandit

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  2. श्रीकांत जी बहुत खूब! यह आर्टिकल पड़ने के बाद मुझे लगता हैं के मैं गलत नहीं था! जब हम ने आप से कहाँ था की आप के पास बहुत तलेंट हैं और "सिर्फ स्टार्टिंग त्रौब्ले हैं"! मैं उम्मीद करता हूँ के आप आने वाले दिनों में कविता और इस तरह के आर्टिकल लिखें!

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  3. very good enlightning article.people should come forward to eradicate this social problem which has engulfed us.

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  4. श्रीकांत.जी आपने बहुत ही अभ्यास पूर्ण और बहुत ही सरल शब्द मे उपर प्रस्तुत "शराब की लत से छूटकारा कैसे पाये" लेख प्रस्तुत कर समाज मे जागृती फैलाने का महत्वपूर्ण काम किया है ...आज काफी लोगो को मालूम नही है की शराब की लत येह एक बिमारी है...जो पिता है और जो बुरी तरह इस लत मे डूबा हुआ है उसे भी और उसके नजदीक के लोगो को भी येह पता नही है....जिसकी दिल से इच्छा है की मै इस लत से छूट कारा पावू उन्होने ' मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र 'मे अवश्य जाना चाहिये और उस आदमी को हमेशा मानसिक तौर पे प्रेरित करना चाहिये. ...धनयवाद..

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