तारे - ग्रहोंके तुमही मूलाधार ,
निराकार सर्वत्र तुमही साकार || १ ||
दुःखहारक तुमही सुखकारक ,
विघ्ननाशक तुमही महापाप तारक || २ ||
तुमही केशव,रूद्र ,इंद्र और ब्रह्मा ,
तुमही भूमि ,वायु ,अग्नि ,सुर्य-चंद्रमा || ३ ||
तुम्हीसे ज्ञान ,विज्ञान और तत्वज्ञान ,
अक्षरब्रह्म तुम हो, तुम्हीसे आत्मज्ञान || ४ ||
हे आदिदेव , महिमा तुम्हारी शब्दातीत ,
दीजिए सदैव सद् बुद्धी, कार्यसिद्धि अबाधित ||५||
|| इति श्रीकांत चित्राव विरचित श्री गणेश प्रार्थना सम्पुर्णम् ||
रोज सुबह उठते ही श्री गणेश ध्यान कर , यह प्रार्थना करें . श्री गणेश महाराज जी की कृपा से आपका दिन सफल हो जाएगा |
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जाऊं मैं कैसे पिया.... ?
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जाऊँ मै कैसे पिया ... यहाँसे ,
जाऊँ मै कैसे पिया... ? || ध्रु ||

मदहोश हवां मे तेरी सांस बसी ,
धरती झूमें ,बरसे खुषी ,
पग ना निकले इस चमनसे ........ ,
जाऊँ मै कैसे पिया ..यहाँसे ,
जाऊँ मै कैसे पिया..... ? || १ ||
हाँथ जो थामा तुने प्यारसे ,
चमकी बिजली दौडी तनसे ,
होंश नही मुझे, अपनेही मस्तीसे ,
जाऊँ मै कैसे पिया .. यहाँसे ,
जाऊँ मै कैसे पिया ..... ? || २ ||
छुपके आई मै तांक ती नज़रोंसे ,
डर लगता है अपने बाबुल से
भूल ना हो कोई , मरू मै शरम से ,
जाने दो मुझको पिया .. यहाँसे ,
जाने दो मुझको पिया ........ || ३ ||
जाऊँ मै कैसे पिया ... यहाँसे ,
जाऊ मै कैसे पिया ... ?
श्रीकांत चित्राव .
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"Jai Ganesha"
जवाब देंहटाएंIt's a very good begining Srikant Bhai to translate your feelings into poetry. I really appreciate the effort you have made, and I sincerely hope to read more in times to come.
Keep it going... All the very best.
Bhasker M Sundaresan