हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे आना ही है ,
धर्म स्थापना वादा आपका ,इस धरती को बचाना है | | ध्रु. | |
सच्चाई,खुषहाली पाएँ जन ,कईयोंने प्राणाहुति दे दी है ,
दुष्टोंसे बचाके धरतीको , स्वतंत्रता की चादर चढाई है |
पर आज इनके बलिदान का , अच्छा मज़ाक उडाया है ,
नेताओंसे हैवान अच्छे , ऐसा शर्मनाक रंग दिखाया है | | १ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ..........................
राजकुल मे जन्में त्यागकर उसे , शांतिदूत बन आएँ है ,
प्रेम, त्याग का मंत्र अनमोल , इस संसार ने पाया है |
भ्रष्ट-सत्ता , द्वेष ,दमन का , ध्वंस-राज यहाँ कई सालोंसे है ,
जनता और देश के लुटेरें , राजनेता अब बन बैठे है | | २ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ...........................
तीर्थंकर अवतार आपने , अहिंसा की शक्ती-स्थापना की है ,
जीव-जन्तु भी जीनेके हकदार , पावन विचार पिरोया है |
हिंसा , भेद , छल और कपट , सत्ता-कुंजी आज बन बैठी है ,
गरीब जनता रगडी जाती , चिंता यहीं गुम हो गई है | | ३ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ............................
इश्वर-संतान रुपमे आपने , किया उद्धार पिछडों का है ,
इश्वर को सभी है सामान , पवित्र पाठ पढ़ाया है |
धर्म,पंथ,जात-पात का बटवारा , आज दिखाई देता है ,
हर समूह का पाखंडी नेता , खून का प्यासा बन बैठा है | | ४ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ...................
सबसे चहिते पैगंबर बनकर , नेक-बंदगी की राह दिखाई है,
निराकार रूप है बसा कण-कणमे , सीख हमें सिखलाई है |
हर मुल्क,हर मजहब और आदमी को ,गुटोंमे बटते देखा है ,
मानवता की जलती आगपर , हर नेता रोटी सेंकता है | | ५ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ......................
'सत् श्री आकाल' सत्य-मंत्र देकर , सदा सत्य रक्षा की है ,
सत्य-धर्म जीवन से श्रेष्ठ , बोध यहीं दिया विश्वको है |
असत्य ही सत्य,अधर्म ही धर्म , राज-निती तय हो बैठी है ,
चरणसीमा पर राज कलीका , दिखाई दुर्भाग्य से देता है | | ६ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ...........................
नरक-यातना से धर्म , भूमी और जन को ग्लानी आई है ,
साधू-संत हो गएँ है रंक , दुष्ट अमीरोंका राज चल रहा है |
सत्य-धर्म, सज्जनोंकी विजय , यही जनता की पुकार है ,
आपके अवतार बिना , स्वप्न विश्व का अधूरा रह जाना है | | ७ | |
इसीलियें ................ हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ..................................................
धर्म स्थापना वादा आपका ,इस धरती को बचाना है | | ध्रु. | |
सच्चाई,खुषहाली पाएँ जन ,कईयोंने प्राणाहुति दे दी है ,
दुष्टोंसे बचाके धरतीको , स्वतंत्रता की चादर चढाई है |
पर आज इनके बलिदान का , अच्छा मज़ाक उडाया है ,
नेताओंसे हैवान अच्छे , ऐसा शर्मनाक रंग दिखाया है | | १ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ..........................
राजकुल मे जन्में त्यागकर उसे , शांतिदूत बन आएँ है ,
प्रेम, त्याग का मंत्र अनमोल , इस संसार ने पाया है |
भ्रष्ट-सत्ता , द्वेष ,दमन का , ध्वंस-राज यहाँ कई सालोंसे है ,
जनता और देश के लुटेरें , राजनेता अब बन बैठे है | | २ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ...........................
तीर्थंकर अवतार आपने , अहिंसा की शक्ती-स्थापना की है ,
जीव-जन्तु भी जीनेके हकदार , पावन विचार पिरोया है |
हिंसा , भेद , छल और कपट , सत्ता-कुंजी आज बन बैठी है ,
गरीब जनता रगडी जाती , चिंता यहीं गुम हो गई है | | ३ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ............................
इश्वर-संतान रुपमे आपने , किया उद्धार पिछडों का है ,
इश्वर को सभी है सामान , पवित्र पाठ पढ़ाया है |
धर्म,पंथ,जात-पात का बटवारा , आज दिखाई देता है ,
हर समूह का पाखंडी नेता , खून का प्यासा बन बैठा है | | ४ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ...................
सबसे चहिते पैगंबर बनकर , नेक-बंदगी की राह दिखाई है,
निराकार रूप है बसा कण-कणमे , सीख हमें सिखलाई है |
हर मुल्क,हर मजहब और आदमी को ,गुटोंमे बटते देखा है ,
मानवता की जलती आगपर , हर नेता रोटी सेंकता है | | ५ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ......................
'सत् श्री आकाल' सत्य-मंत्र देकर , सदा सत्य रक्षा की है ,
सत्य-धर्म जीवन से श्रेष्ठ , बोध यहीं दिया विश्वको है |
असत्य ही सत्य,अधर्म ही धर्म , राज-निती तय हो बैठी है ,
चरणसीमा पर राज कलीका , दिखाई दुर्भाग्य से देता है | | ६ | |
हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ...........................
नरक-यातना से धर्म , भूमी और जन को ग्लानी आई है ,
साधू-संत हो गएँ है रंक , दुष्ट अमीरोंका राज चल रहा है |
सत्य-धर्म, सज्जनोंकी विजय , यही जनता की पुकार है ,
आपके अवतार बिना , स्वप्न विश्व का अधूरा रह जाना है | | ७ | |
इसीलियें ................ हे मुरलीमोहन अब तो तुम्हे ..................................................

Bahut Khoob Srikant JI. Kafi Acche Vichar Hain Aap ke Aaj Kal ke paristhitiyon mein. Kyon Na Isse Hum Gane Mein Banaye Aur Share karein.
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