जैसे ही यू-ट्यूब से यह व्हीडियो शुरू हुआ ,मैंने देखा एक बड़े हॉल मे बड़े,सजे स्टेज पर तालियोंकी गडगडाहट मे एक औरत का , जो लाल नेहरु शर्ट,कालीसलवार और चश्मा पहने खड़ी थी , स्वागत हो रहा था | उनका पहला वाक्य मैंने सुना "आज मैं मानव अधिकार के सबसे घिनौने हनन ,तीसरे सबसे बड़े संघटित अपराधिक गतिविधी,सैकड़ो करोड़ डॉलर का गैर-कानूनी व्यापार और आधुनिक दुनिया मे हो रही गुलामी के बारेमें बात करने वाली हूँ "| फिर स्टेज पर लगी बड़ी स्क्रीन पर तीन छोटी मासूम लडकियोंके के फोटो दिखाकर आगे बोली ,"इन तीन लड्कियों के नाम प्रणिता,शाहीन और अंजलि हैं | प्रणिता की माँ वेश्या और H . I . V . एड्स से पीड़ित, थी | उसके असाध्य रोग के आखरी दिनोंमे वह वेश्या व्यवसाय नहीं कर पा रही थी , तो उसने चार साल की प्रणिता को एक दलाल को बेच दिया | जब हम उसे छुड़ाने गए थे तबतक उसके साथ तीन आदमियोंने ( हैवानोंने )बलात्कार किया था "| मैं सुन्न होकर आगे सुन रहा था ,"शाहीन ,दुसरी छोटी लड़की ,हमें रेलवे पटरी पर पड़ी हुई मिली ,उसके साथ ना जाने कितने लोगोंने बलात्कार और अत्याचार किया था ,क्यों की उसकी अंतडियां पेट से बाहर आ गई थी| उसका ऑपरेशन अस्पताल मे हुआ तो बत्तीस टांके लगे ,अंतडिया उसके शरीर मे सही ठिकाने लगाने को |
अंजलि,तीसरी मासूम बच्ची,उसका पिता अव्वल नंबर का शराबी,उसने अपने पांच साल के बेटी को लैंगिक सम्बंधोपर फिल्म चित्रीकरण (BLUE FILM ) के लिए बेच दिया" | मेरा दिल यह सब सुनके दहेल उठा |आगे वह बोल रही थी ,"इस देशमे तथा दुनिया मे ऐसे हज्जारों बच्चे गुलामी व्यापार ,गोद लेनेके व्यापार,शरीर अंग बेचनेके व्यापार,ऊंट रेस व्यापार (ऊंट के पीठपर बच्चोंको बंधा जाता है,उनके डर से जोरसे चिल्लाने की आवाज से ऊंट रेस मे तेजीसे भागते हैं) और लैंगिक शोषण व्यापार के लिए बेचे और ख़रीदे जाते हैं | मैं बच्चों और औरोतों पर होते लैगिक शोषण के खिलाफ़ काम करती हूँ" |उस समाज सेविकाने आगे खुलासा किया,"मैं इस क्षेत्र मे यौन उम्रसे ही काम कर रही हूँ ,आज मेरी उम्र चालीस साल की है | इस कार्य मे मैं इसलिए उतरी क्यों की मैं जब पन्ध्रह साल की थी मुझपर आँठ लोगोंने सामूहिक बलात्कार किया था | मुझपर बलात्कार हुआ इसका दुःख मुझे जरूर था लेकिन उससे ज्यादा गुस्सा इस बात का था की मुझे दो सालतक अपनोंने घरमे कैद करके रखा था ,मुझपर ताने कसे जाते थे | अक्सर यहीं होता है,पीड़ित कैद हो जाते है और अपराधी सीना तानके समाज मे घूमते हैं |इसका प्रमुख कारण, सुसंकृत समाज ऐसे पीड़ित लोगोंको अपने पैरोपर खड़े होनेकी हिम्मत और अवसर नहीं देता |यह मत समझिए की सिर्फ गरीब बच्चे और औरतेंही लैंगिक शोषण का शिकार होते हैं बल्कि उच्च वर्गीय,मध्यम वर्गीय घरके बच्चो और औरतोंको इसका शिकार होतें हमने देखा हैं | मैंने तीन हजार दो सौं से ज्यादा लोगोंको लैंगिक शोषण होने के बाद या पहले बचाया है | इस दौरान मेरे ऊपर चौदह बार जानलेवा हमले, इस क्षेत्रमे व्यापार करनेवाले माफिया लोगोंसे,हुए हैं| यही वजह है ,मैं अपने दाहिने कान से नहीं सुन सकती ,हमारे एक कर्मचारी की जान भी इस बचाव कार्यमे गई है | हमने और कुछ जागरूक कम्पनियोंने मिलके ऐसी पीड़ित औरतोंको नौकरी दिलवाने मे मदद की है | आज बहोत सारी ऐसी महिलाऐं अपने पैरोपर खड़ी होकर स्वाभिमान से अच्छे पैसे कमा रही हैं" | यह बात सुनकर पहलीबार मेरे मनमें आशा की किरन जाग उठी | इस समाज सेविका की सुसंस्कृत समाजसे एक ही मांग हैं ,"इन लैंगिक शोषण पीड़ित लोगोंको आप असुरक्षित समाज के लाचार शिकार की तरह देखकर सिर्फ सहानुभूति या चर्चा,तानों का विषय ना बनाकर, उन्हे इसी समाज मे अपनाकर अपनी रोजी-रोटी कमानेका हक दीजिए | मैं आपको अन्ना हजारे, गांधीजी,मेधा पाटकर जी बनने के लिए नहीं कह रही हूँ | मेरी माँग आपसे सिर्फ यही है की आप यह कहानी सिर्फ दो लोगोंको बोलियें ताकि उनका नजरियाँ बदल जाए और वे लोग भी आपकी तरह ऐसे पीड़ित लोगोंको इस समाज मे अपना ले और आपकी तरह यह कहानी और दो लोगोंको बताएँ और यह समाज उन्हे इज्जत की रोटी कमानेमे सहाय्यता करें , धन्यवाद "| मेरे मन मे वेदना,गुस्सा और आँखों मे शर्म के आँसू थे | मैं सोच रहा था , क्या हम, हमारी सरकार अपने देश के बच्चों और औरतोंकी, लैंगिक शोषण करनेवालें माफिया,अपराधी लोगोंसे , रक्षा करने के लिए एक सक्षम व्यवस्था और कानून बना नहीं सकते ? हम सब जिम्मेदार नागरिक है तो जरूर ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं | इसके लिए यह कहानी दो लोगोंको सुनाकर जागृति लानी होगी | मैंने कोशिश की है ,मुझे विश्वास है के आप भी करेंगे |
अंजलि,तीसरी मासूम बच्ची,उसका पिता अव्वल नंबर का शराबी,उसने अपने पांच साल के बेटी को लैंगिक सम्बंधोपर फिल्म चित्रीकरण (BLUE FILM ) के लिए बेच दिया" | मेरा दिल यह सब सुनके दहेल उठा |आगे वह बोल रही थी ,"इस देशमे तथा दुनिया मे ऐसे हज्जारों बच्चे गुलामी व्यापार ,गोद लेनेके व्यापार,शरीर अंग बेचनेके व्यापार,ऊंट रेस व्यापार (ऊंट के पीठपर बच्चोंको बंधा जाता है,उनके डर से जोरसे चिल्लाने की आवाज से ऊंट रेस मे तेजीसे भागते हैं) और लैंगिक शोषण व्यापार के लिए बेचे और ख़रीदे जाते हैं | मैं बच्चों और औरोतों पर होते लैगिक शोषण के खिलाफ़ काम करती हूँ" |उस समाज सेविकाने आगे खुलासा किया,"मैं इस क्षेत्र मे यौन उम्रसे ही काम कर रही हूँ ,आज मेरी उम्र चालीस साल की है | इस कार्य मे मैं इसलिए उतरी क्यों की मैं जब पन्ध्रह साल की थी मुझपर आँठ लोगोंने सामूहिक बलात्कार किया था | मुझपर बलात्कार हुआ इसका दुःख मुझे जरूर था लेकिन उससे ज्यादा गुस्सा इस बात का था की मुझे दो सालतक अपनोंने घरमे कैद करके रखा था ,मुझपर ताने कसे जाते थे | अक्सर यहीं होता है,पीड़ित कैद हो जाते है और अपराधी सीना तानके समाज मे घूमते हैं |इसका प्रमुख कारण, सुसंकृत समाज ऐसे पीड़ित लोगोंको अपने पैरोपर खड़े होनेकी हिम्मत और अवसर नहीं देता |यह मत समझिए की सिर्फ गरीब बच्चे और औरतेंही लैंगिक शोषण का शिकार होते हैं बल्कि उच्च वर्गीय,मध्यम वर्गीय घरके बच्चो और औरतोंको इसका शिकार होतें हमने देखा हैं | मैंने तीन हजार दो सौं से ज्यादा लोगोंको लैंगिक शोषण होने के बाद या पहले बचाया है | इस दौरान मेरे ऊपर चौदह बार जानलेवा हमले, इस क्षेत्रमे व्यापार करनेवाले माफिया लोगोंसे,हुए हैं| यही वजह है ,मैं अपने दाहिने कान से नहीं सुन सकती ,हमारे एक कर्मचारी की जान भी इस बचाव कार्यमे गई है | हमने और कुछ जागरूक कम्पनियोंने मिलके ऐसी पीड़ित औरतोंको नौकरी दिलवाने मे मदद की है | आज बहोत सारी ऐसी महिलाऐं अपने पैरोपर खड़ी होकर स्वाभिमान से अच्छे पैसे कमा रही हैं" | यह बात सुनकर पहलीबार मेरे मनमें आशा की किरन जाग उठी | इस समाज सेविका की सुसंस्कृत समाजसे एक ही मांग हैं ,"इन लैंगिक शोषण पीड़ित लोगोंको आप असुरक्षित समाज के लाचार शिकार की तरह देखकर सिर्फ सहानुभूति या चर्चा,तानों का विषय ना बनाकर, उन्हे इसी समाज मे अपनाकर अपनी रोजी-रोटी कमानेका हक दीजिए | मैं आपको अन्ना हजारे, गांधीजी,मेधा पाटकर जी बनने के लिए नहीं कह रही हूँ | मेरी माँग आपसे सिर्फ यही है की आप यह कहानी सिर्फ दो लोगोंको बोलियें ताकि उनका नजरियाँ बदल जाए और वे लोग भी आपकी तरह ऐसे पीड़ित लोगोंको इस समाज मे अपना ले और आपकी तरह यह कहानी और दो लोगोंको बताएँ और यह समाज उन्हे इज्जत की रोटी कमानेमे सहाय्यता करें , धन्यवाद "| मेरे मन मे वेदना,गुस्सा और आँखों मे शर्म के आँसू थे | मैं सोच रहा था , क्या हम, हमारी सरकार अपने देश के बच्चों और औरतोंकी, लैंगिक शोषण करनेवालें माफिया,अपराधी लोगोंसे , रक्षा करने के लिए एक सक्षम व्यवस्था और कानून बना नहीं सकते ? हम सब जिम्मेदार नागरिक है तो जरूर ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं | इसके लिए यह कहानी दो लोगोंको सुनाकर जागृति लानी होगी | मैंने कोशिश की है ,मुझे विश्वास है के आप भी करेंगे |
इस कहानी को सुनानेवाली समाज सेविका श्रीमती सुनीता कृष्णन जी , आपकी हिम्मत , कार्य और आपको मेरे लाखों सलाम |