जीवन एक पहेली है | किसी के लिएँ खेल तो किसी के लिएँ जंग | जो सफलता पाता है, वह जाबाज खिलाड़ी है और जो खाई मे गिरता है वह असफल योद्धा है | फिर इस योद्धा की खाई से जमीन की सतह तक आनेकी जंग शुरू हो जाती है | मै जिस योद्धा की बात कर रहाँ हूँ , वह भी खाई मे घायल पड़ा था | वैसे तो वह मेरा रिश्तेदार भी है | उसके माता जी और पिता जी दोनों का छत्र उसके सर से उड़ गया था| बड़ा भाई अपनी निजी जिंदगी मे व्यस्त होते हुए भी जी जान से उसकी मदद कर रहाँ था , आज भी कर रहाँ है |
अकेलापन आदमी को खा जाता है | इसके साथ भी यही हुआ , अपने अकेलेपन से तंग आकर वह बुरी संगत मे फ़स गया था | ' शराब ' नामक जहर से उसकी मुलाक़ात हो गई , बुरी संगत का बुरा असर | आहिस्ता-आहिस्ता शराब ने उसे निगलना शुरू कर दिया | लेकिन वह शराब को अपना आसरा मानकर दिन-रात उसी मे डूबा रहने लगा | एक जवान , सशक्त , रईस , खानदानी , उच्च-शिक्षित और ऊँचे औधे पर नौकरी करने वाला , अपना पैसा , वक्त और सेहद शराब की लत मे बरबाद कर रहाँ था | हम सब रिश्तेदार , दोस्त और समाज उसके बरबादी का तमाशा असहाय होकर देख रहे थे | कुछ दिनों बाद उसे पैसे कम पडने लगे , फिर लोगों से पैसे उधार लेना शुरू हो गया | पैसे उधार आना बंद हो गया तो घर से सामान चुराकर , उसे बेचकर शराब पीना शुरू हो गया था | खुछ सालों बाद , शराब के जहरीले सेवन से उसकी तबियत टूंट रही थी | पेट मे भयंकर दर्द , भूक ना लगना , वजन घट जाना , पाँव पर जख्म होकर उसका ना भरना ऐसे अनेक व्याधि से वह त्रस्त था | अच्छा-ख़ासा आदमी अब बैसाखियों के सहारे चलने लगा | सब को लग रहाँ था की यह अब चंद दिनों का मेहमान है |
' मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र ' मे उसके बड़े भाई ने उसे भर्ती कर दिया | कुछ महीनों तक वहाँ उसका उपचार हुआ और एक दिन वह वापस आ गया | हम सब उसे मिलकर दंग रह गए , चेहरे पे रौनक, बैसाखी गायब , तंदुरुस्त तबियत देखकर सभीको आश्चर्य भरी खुषी हो गई | वहाँ के अनुभव के बारें मे वह बता रहाँ था " मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र ने मुझे जीवनदान दिया | वहाँ जानेके बाद मुझे पता चला की मद्यपान एक बिमारी है और इसका शिकार कोई भी हो सकता है | उस केंद्र मे बौद्धिक , मानसिक और शाररिक स्तर पर विशेषज्ञों द्वारा उपचार किएँ जाते है , जिससे शराब की लत से छुटकारा पानेमे बहोत मदद होती है | वहाँ से निकलते वक्त मुझे यह चेतावनी दी गई की यह बिमारी फिर होनेसे मै बस एक प्याली दूर हूँ | एक घूँट भी मैंने शराब पी ली तो पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी | इसीलिए हर पल मुझे सावधान रहना होगा " |
जिंदगी हर मोड पर नये इम्तिहान लेती है | इसका भी यही हाल था , शराब तो छूट चुकी थी लेकिन शराबी नामक कलंक नही | समाज इसे अपनानेको तैयार नही था | शराबी नामक बदनामी इसे नौकरी मिलने और शादी होनेसे वंछित रख रही थी | दिन-महीने यूहीं गुजर गएँ | वह फिर से अपने आपको निराश और अकेला महसूस कर रहाँ था | उसके पुराने बुरे साथी उसे फिरसे शराब की लत लगाने की पूरी कोशिष कर रहे थे और वह बचने की मुश्किल जंग लड़ रहाँ था | हम सब को यहीं चिंता थी यह हालात का मारा फिरसे शराब पीना शुरू कर देगा और एक दिन .........................
मेडल ( पदक ) लहराते हुए वह मेरे पास आया और कहने लगा , " चार साल , हर पल, हर मुश्किलों से लडता रहाँ पर मैंने शराब नही पी और इसीलिए कल मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र मे मुझे पदक देकर सम्मानित कियाँ है " | उसकी आँखों मे खुषी के आँसू और चहरे की अनोखी चमक मुझसे कह रही थी ,
आज मुझे मिला कड़ी मेहनत से पदक ,
आँसू मे डूबी एक बड़ी खुषी की झलक |
चार साल मानो जैसे चार सदियाँ ,
मुश्किलोंकी पार की मैंने कई नदियाँ |
मैं खुद बन गया था जहर ही जहर ,
हर वक्त था मुझपे मदिरा का कहर |
लगा सबको जिंदगी मेरी हो गई है ख़ाक ,
उठा मै झटककर नाकामियों की राख़ |
कामयाबी मेरी है एक प्यारा चमत्कार ,
खुषहाल जिंदगी की मैंने सुनी है पुकार |
कई दिनोंसे मैंने दिया शराबको धुत्कार ,
इसीलिए पदक देकर मेरा कियाँ है सत्कार |
मद्यपान को हर मजहब ने हराम माना है क्यों की इससे शराबी , उसके घर के सभी सदस्य बुरी तरह प्रभावित होते है | लेकिन इस बिमारी का इलाज है | मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र , समाज और रिश्तेदारों की समझ , सय्यम भरी सहाय्यता और सहारे से शराबी मदिरापान की लत से छुटकारा पा सकता है|
अकेलापन आदमी को खा जाता है | इसके साथ भी यही हुआ , अपने अकेलेपन से तंग आकर वह बुरी संगत मे फ़स गया था | ' शराब ' नामक जहर से उसकी मुलाक़ात हो गई , बुरी संगत का बुरा असर | आहिस्ता-आहिस्ता शराब ने उसे निगलना शुरू कर दिया | लेकिन वह शराब को अपना आसरा मानकर दिन-रात उसी मे डूबा रहने लगा | एक जवान , सशक्त , रईस , खानदानी , उच्च-शिक्षित और ऊँचे औधे पर नौकरी करने वाला , अपना पैसा , वक्त और सेहद शराब की लत मे बरबाद कर रहाँ था | हम सब रिश्तेदार , दोस्त और समाज उसके बरबादी का तमाशा असहाय होकर देख रहे थे | कुछ दिनों बाद उसे पैसे कम पडने लगे , फिर लोगों से पैसे उधार लेना शुरू हो गया | पैसे उधार आना बंद हो गया तो घर से सामान चुराकर , उसे बेचकर शराब पीना शुरू हो गया था | खुछ सालों बाद , शराब के जहरीले सेवन से उसकी तबियत टूंट रही थी | पेट मे भयंकर दर्द , भूक ना लगना , वजन घट जाना , पाँव पर जख्म होकर उसका ना भरना ऐसे अनेक व्याधि से वह त्रस्त था | अच्छा-ख़ासा आदमी अब बैसाखियों के सहारे चलने लगा | सब को लग रहाँ था की यह अब चंद दिनों का मेहमान है |
' मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र ' मे उसके बड़े भाई ने उसे भर्ती कर दिया | कुछ महीनों तक वहाँ उसका उपचार हुआ और एक दिन वह वापस आ गया | हम सब उसे मिलकर दंग रह गए , चेहरे पे रौनक, बैसाखी गायब , तंदुरुस्त तबियत देखकर सभीको आश्चर्य भरी खुषी हो गई | वहाँ के अनुभव के बारें मे वह बता रहाँ था " मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र ने मुझे जीवनदान दिया | वहाँ जानेके बाद मुझे पता चला की मद्यपान एक बिमारी है और इसका शिकार कोई भी हो सकता है | उस केंद्र मे बौद्धिक , मानसिक और शाररिक स्तर पर विशेषज्ञों द्वारा उपचार किएँ जाते है , जिससे शराब की लत से छुटकारा पानेमे बहोत मदद होती है | वहाँ से निकलते वक्त मुझे यह चेतावनी दी गई की यह बिमारी फिर होनेसे मै बस एक प्याली दूर हूँ | एक घूँट भी मैंने शराब पी ली तो पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी | इसीलिए हर पल मुझे सावधान रहना होगा " |
जिंदगी हर मोड पर नये इम्तिहान लेती है | इसका भी यही हाल था , शराब तो छूट चुकी थी लेकिन शराबी नामक कलंक नही | समाज इसे अपनानेको तैयार नही था | शराबी नामक बदनामी इसे नौकरी मिलने और शादी होनेसे वंछित रख रही थी | दिन-महीने यूहीं गुजर गएँ | वह फिर से अपने आपको निराश और अकेला महसूस कर रहाँ था | उसके पुराने बुरे साथी उसे फिरसे शराब की लत लगाने की पूरी कोशिष कर रहे थे और वह बचने की मुश्किल जंग लड़ रहाँ था | हम सब को यहीं चिंता थी यह हालात का मारा फिरसे शराब पीना शुरू कर देगा और एक दिन .........................
मेडल ( पदक ) लहराते हुए वह मेरे पास आया और कहने लगा , " चार साल , हर पल, हर मुश्किलों से लडता रहाँ पर मैंने शराब नही पी और इसीलिए कल मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र मे मुझे पदक देकर सम्मानित कियाँ है " | उसकी आँखों मे खुषी के आँसू और चहरे की अनोखी चमक मुझसे कह रही थी ,
आज मुझे मिला कड़ी मेहनत से पदक ,
आँसू मे डूबी एक बड़ी खुषी की झलक |
चार साल मानो जैसे चार सदियाँ ,
मुश्किलोंकी पार की मैंने कई नदियाँ |
मैं खुद बन गया था जहर ही जहर ,
हर वक्त था मुझपे मदिरा का कहर |
लगा सबको जिंदगी मेरी हो गई है ख़ाक ,
उठा मै झटककर नाकामियों की राख़ |
कामयाबी मेरी है एक प्यारा चमत्कार ,
खुषहाल जिंदगी की मैंने सुनी है पुकार |
कई दिनोंसे मैंने दिया शराबको धुत्कार ,
इसीलिए पदक देकर मेरा कियाँ है सत्कार |
मद्यपान को हर मजहब ने हराम माना है क्यों की इससे शराबी , उसके घर के सभी सदस्य बुरी तरह प्रभावित होते है | लेकिन इस बिमारी का इलाज है | मद्यपान व्यसन मुक्ति केंद्र , समाज और रिश्तेदारों की समझ , सय्यम भरी सहाय्यता और सहारे से शराबी मदिरापान की लत से छुटकारा पा सकता है|